वित्तीय मार्केट की दुनिया में, SEBI (Securities and Exchange Board of India) एक वॉचडॉग की भूमिका निभाता है, निवेशकों के हितों की सुरक्षा करता है
हाल ही में, SEBI ने एक Registered Investment Advisor, अभिषेक के खिलाफ कार्यवाही की। अभिषेक पर आरोप थे कि वे बिना उचित रिसर्च रिपोर्ट्स के क्लाइंट्स को एडवाइस दे रहे थे। इसके अलावा, उन्होंने कुछ और गलतियाँ भी कीं, जैसे कि कंसिस्टेंट रिटर्न्स का वादा करना बिना IA लेबल के।

रिस्की एडवाइसेज के नतीजे
अभिषेक ने अपने क्लाइंट्स को फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट्स की एडवाइस दी, लेकिन बिना ठोस रिसर्च बेस के। यह एक सीरियस कंसर्न है, क्योंकि इन्वेस्टमेंट एडवाइस को हमेशा रिलायबल रिसर्च पर बेस्ड होना चाहिए। उनका यह तरीका क्लाइंट्स के लिए हाई रिस्क साबित हो सकता था।
प्रॉमिसेज वर्सेज रियलिटी
अभिषेक ने जो कंसिस्टेंट रिटर्न्स का वादा किया, वह फाइनेंशियल वर्ल्ड में एक बड़ा रेड फ्लैग है। इन्वेस्टमेंट मार्केट्स में अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है, और इसलिए किसी भी तरह के कंसिस्टेंट रिटर्न्स का प्रॉमिस न सिर्फ गलत, बल्क
रिस्की भी होता है। SEBI ने इस तरह के व्यवहार पर स्ट्रिक्ट एक्शन लिया, यह सुनिश्चित करते हुए कि इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स एथिकल प्रैक्टिसेज का पालन करें
SEBI के नियमों के अनुसार, इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स को अपने नाम के साथ ‘IA’ लेबल का उपयोग करना आवश्यक है। यह एक इंडिकेटर है कि वे प्रोफेशनली क्वालिफाइड और रेगुलेटेड हैं। अभिषेक का यह नियम ना मानना, उनकी लापरवाही को दर्शाता है और ग्राहकों के लिए कंफ्यूजन का कारण बन सकता था।
सुरक्षित निवेश के लिए SEBI की भूमिका
SEBI का यह कदम न सिर्फ अभिषेक के खिलाफ एक उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वित्तीय बाजार में निवेशकों की सुरक्षा कैसे महत्वपूर्ण है। इन्वेस्टर्स को हमेशा सोच-समझकर और रिसर्च बेस्ड डिसीजन्स लेने चाहिए, और अनरेगुलेटेड या नॉन-प्रोफेशनल एडवाइस से बचना चाहिए।





