आज टाटा मोटर्स देश में लक्सरी कारों का निर्माण करता है।
लेकिन रतन टाटा को लक्सरी, महँगी कारों का शौक नहीं है।
रतन टाटा को "टाटा इंडिका" कार से बहुत लगाव है।
क्योंकि टाटा इंडिका "टाटा मोटर्स" की पहली पैसेंजर कार थी।
टाटा इंडिका ही देश की पहली स्वदेशी पैसेंजर कार बनीं थी।
इस कार को लगभग 25 साल पहले 3 दिसंबर 1998 को लॉच किया गया था।
मात्र एक हफ्ते के भीतर इनको 1.15 लाख ऑर्डर मिल गए थे।
लेकिन शुरुआती खरीददारों को इस कार ने काफी दिक्कतें दी।
शिकायतों की वजह से इस कार यूनिट को बेचने तक फैसला ले लिया गया था।
रतन टाटा ने फोर्ड को अपनी पैसेंजर कार यूनिट बेचने का फैसला किया।
लेकिन फोर्ड द्वारा टाटा की बेइज्जती की वजह से इसको नहीं बेचा गया।
2008 में टाटा ने फोर्ड की लैंडरोवर और जैगुआर को खरीदकर अपना बदला लिया।