उन्होंने खुद की एक कृषि उपकरण कंपनी बनाने का फ़ैसला लिया लेकिन वो उसमें बुरी तरह असफल रहे।
पैसा डूबने के बाद उन्होंने मारुति की डीलरशिप की लिए अप्लाई किया लेकिन वो भी रिजेक्ट हो गया।
फिर जाकर उन्होंने 1995 में सोनालिका ट्रैक्टर लाँच किया, जिससे उनको सफलता की राह मिली।
आज सोनालिका 74 देशों में अपने ट्रैक्टर निर्यात करता है तथा ये सालाना 70,000 ट्रैक्टर बेच देते है।