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रतन टाटा बहुत शांत स्वाभाव के व्यक्ति है लेकिन 1999 में कुछ ऐसा हुआ जिसका जवाब देना जरूरी हो गया था।

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दरअसल 90 के दशक में रतन टाटा ने TATA इंडिका नामक एक पैसेंजर कार लाँच की थी।

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यह रतन टाटा का एक ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन यह कार भारतीय मार्केट में असफल साबित हुई।

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इसकी बिक्री न होने के कारण टाटा मोटर्स ने इसके कार डिवीजन बेचने का फैसला लिया।

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रतन टाटा अपनी टीम के साथ फोर्ड कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड से मिलने पहुँच गए।

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टाटा अपने कार डिवीजन को बेचने गए थे लेकिन बिल फोर्ड ने उनका काफी अपमान किया।

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बिल फोर्ड ने कहा कि, जब आपको पैसेंजर कार बनाना ही नहीं आता तो आपने ये काम शुरू ही क्यों किया।

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फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि हम आपके कार डिवीजन को खरीदकर आप पर अहसान कर रहे है।

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इस अपमान के कारण ही टाटा ने अपने कार डिवीजन को बेचने का फैसला कैंसिल कर दिया।

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रतन, टाटा मोटर्स को बढ़ाने में लग गए और मात्र 9 सालों में ये भारत की जानी मानी कंपनी बन गए।

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जहाँ एक तरह टाटा मोटर्स खूब लाभ कमा रही थी वहीँ फोर्ड लगातार नुकसान झेल रही थी।

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तभी रतन टाटा ने फोर्ड के लैंडरोवर व जैगवार कंपनी को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदने का ऑफर दे डाला।

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फोर्ड ने तब रतन टाटा से कहा कि आप हमारी कंपनी को खरीदकर हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे है।

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इस कहानी से यह सीखने को मिलता है कि" सफलता ही अपमान का सबसे बड़ा बदला है।