लॉकडाउन के दौरान फार्मेसी सेक्टर की जबरदस्त डिमांड बढ़ी।

जिसके बाद बहुत से युवा मेडिकल लाइन में गये।

युवाओं बी.फार्मा करके खूब मेडिकल स्टोर खोले।

लेकिन इससे गरीबों और मध्यम वर्गीय लोगों को कोई फायदा नहीं हुआ। 

उनके लिए दवाइयों की कीमत आज भी उनकी औकात से ज्यादा ही है। 

इन लोगों को कम दामों पर दवाई दिलाने के लिए 16 साल के युवा ने एक प्रयास किया। 

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अर्जुन देशपांडे ने मात्र 15,000 के निवेश से जेनेरिक आधार की शुरुआत की। 

जेनेरिक आधार लोगों को "जेनेरिक मेडिसिन" मुहैया कराता है।

जेनेरिक मेडिसिन बाकी दवाइयों से 80% कम कीमत पर मिलती है।

रतन टाटा ने भी अर्जुन का साथ दिया और इनकी कम्पनी में पैसे निवेश किये।

सरकारों ने भी इनके इस कदम को सराहा और अपने राज्य में स्टोर्स भी खुलवाये। 

मात्र 3 साल पहले शुरू हुई यह कम्पनी आज 500 करोड़ रुपये की बन चुकी है।