Phool.Co Startup Story

मंदिर में चढ़ाये फूलों को इकठ्ठा करके बना डाला देश का पहला बायोमैटेरियल स्टार्टअप : Phool.Co Success Story In Hindi

Phool.Co Success Story: क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर में चढ़ाये गए फूलों के साथ क्या होता है? नहीं सोचा होगा, चलिए मैं बताता हूँ। मंदिर में चढ़ाये फूलों को बाद में या तो कचरे में फेंक दिया जाता है या फिर इसको नदियों, नालों में फेंक दिया जाता है। इस समस्या को कानपुर के युवक ने समझा और खराब हुए फूलों को इकठ्ठा करके एक स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसको आज Phool.Co के नाम से जाना जाता है।

समस्यायें तब तक समस्यायें लगती है जब तक कि उनका समाधान न निकाल लिया जाये। आज बहुत सारे नये-नये स्टार्टअप सामने आ रहे है जिन्होंने अपने आसपास की एक समस्या को समझा, उसका समाधान निकाला और फिर उसको एक बिज़नेस में बदल दिया। Phool.Co ने भी अपने आसपास की एक समस्या को समझकर उसका समाधान निकाला फिर उसको एक बिज़नेस में बदल दिया।

आइये आपको बताते है कि कैसे इस स्टार्टअप ने मात्र 2 किलो फूलों और 72 हजार रुपयों से अपने सफर की शुरुआत की और आज यह करोड़ों रुपयों का बिज़नेस कर रहा है।

Phool.Co क्या है?

Phool.Co भारत का पहला बायोमैटेरियल स्टार्टअप है जो मंदिर में चढ़ाये हुए फूलों को खराब होने से पहले इकठ्ठा करते है फिर उनको रीसायकल करके उनसे धूपबत्ती, अगरबत्ती, आर्गेनिक वर्मीकम्पोस्ट, फ्लेदर व खुशबूदार प्राकृतिक तेल का निर्माण करते है। Phool.Co, कानपुर फ्लावरसाइकलिंग प्राइवेट लिमिटेड का एक ऑनलाइन इ-कॉमर्स ब्रांड है।

इस कंपनी की शुरुआत 2017 में अंकित अग्रवाल व उनके दोस्त अपूर्व मिसल ने साथ मिलकर की थी। ये कंपनी अभी तक 11 हजार मीट्रिक टन से भी ज्यादा फूल वेस्ट को रीसायकल कर चुकी है। इन्होंने कानपुर फ्लावरसाइकलिंग प्राइवेट लिमिटेड को HelpUsGreen और Phool ब्रांड में विभाजित कर दिया है।

बॉलीवुड की अभिनेत्री आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने भी इस कंपनी के अच्छे विचारों और यूनिक आईडिया के कारण Phool.Co में इन्वेस्ट किया है।

Phool.Co की शुरुआत कैसे हुई?

इस कंपनी की शुरुआत कानपुर फ्लावरसाइकलिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से हुई थी, बाद में इसको Phool.Co नामक ब्रांड में बदल दिया गया। इसकी शुरुआत बड़ी ही अजीब तरीके से हुई क्योंकि ये पहले से चलने वाली कोई इंडस्ट्री नहीं थी जिसके बारे में किसी को ज्ञात हो। इन्होंने मार्केट को एक नयी इंडस्ट्री खोज कर दी जिसकी कल्पना पहले कभी नहीं की गई थी।

गंगा घाट पर बैठकर मिला बिजनेस आईडिया?

2015 में Phool.Co के फाउंडर अंकित अग्रवाल कानपुर में अपने घर पर थे तभी उनका दोस्त जैकब उनसे मिलने आया। जैकब ने अंकित से गंगा घाट घुमाने को कहा तो अंकित और जैकब मकर संक्रांति की उस सर्द सुबह में गंगा घूमने चले गए।

अंकित और जैकब गंगा घाट पर बैठकर लोगों को गंगा के गंदे पानी व कचरे के बीच गंगा स्नान, पानी पीते व बोतल मे पानी भरते हुए देख रहे थे। ये सब देखकर जैकब काफी आश्चर्यचकित हुआ उसने अंकित से कहा कि ये सब क्या है। ये लोग इतनी गन्दगी के बीच कैसे नहा रहे है और उसी गंदे पानी को पी भी रहे है।

जैकब की बात सुनकर अंकित बताने लगा कि ये सब मैं बचपन से देख रहा हूँ, कारखानों से निकला वेस्ट इसी गंगा में डालने से इसका पानी काफी गन्दा हो गया है और हम इसके लिए कुछ भी नहीं कर सकते है। सारी गलती कंपनियों व सरकार की है।

जब अंकित सिस्टम को कोस रहा था तभी जैकब ने कहा कि तुम कुछ क्यों नहीं करते। तो अंकित ने कहा मैं भला इसमें क्या कर सकता हूँ। तभी मंदिर में चढ़ाएं फूलों से लदा हुआ एक टेम्पो ने सारे बेकार फूलों को गंगा में डाल दिया। ये घटना देखकर अंकित ने सोचा कि फूलों की वजह से भी तो प्रदूषण फैल सकता है। फूलों को उगाने में केमिकल का इस्तेमाल होता है जिनको गंगा में डालने से उसका पानी प्रदूषित हो सकता है।

अंकित ने घर आकर इसके बारे में रिसर्च की और उनको चौकाने वाली रिजल्ट मिले। अंकित को अब पता चल चुका था कि गंगा के प्रदूषित होने का एक कारण उसमे फेंकें जाने वाले फूल भी है। अंकित समाज व समाज के लोगों लिए कुछ करना चाहते थे इसीलिए उन्हें यह एक अच्छा आईडिया लगा। अंकित ने इस आईडिया पर काम करना शुरू कर दिया और आज उस आईडिया की वजह से ही हमें Phool जैसा एक बढ़िया ब्रांड देखने को मिल रहा है।

Phool को बनाने में कितना संघर्ष लगा?

अंकित ने जब इस आईडिया को मंदिर वालों को समझाने का प्रयास किया पर किसी ने भी इनको गंभीरता से नहीं लिया और अंकित को फूल वेस्ट देने से भी मना कर दिया। अंकित को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। अंकित ने मंदिर के ट्रस्ट को समझाने के लिए हमारे पूज्य ग्रंथों का सहारा लिया।

“तेरा तुझको अर्पण”… जो भगवान का है वो वापस हम भगवान को ही अर्पण कर देंगे। मंदिरों के फूल वेस्ट को हम धूपबत्ती व अगरबत्ती में बदलकर उनसे भगवान की आराधना करेंगे। ये बात मंदिर के ट्रस्ट के लोगों काफी अच्छी लगी और उन्होंने अंकित को फूल देने को हाँ कह दी।

अब इस आईडिया को बिज़नेस में बदलने के लिए अंकित ने दिन रात मेहनत की और अपने आईडिया को इन्वेस्टर्स को सुनाया। 1.5 साल तक लगातार प्रयास करने के बाद अंकित अपने इरादों में कामियाब हुए।

Phool.Co को फंडिंग कैसे और कहाँ से मिली?

अंकित ने 2 किलो फूल और 72 हजार रुपये की इन्वेस्टमेंट से इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए अंकित ने IIT, IIM में होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा वहाँ से 20 लाख रुपये इकट्ठा किये। एक साल बाद अंकित से अपनी नौकरी छोड़कर पूरी तरीके से अपने स्टार्टअप में लग गए।

लॉकडाउन में कम्पनी के पास पैसे खतम होने वाले थे पर खर्च लगातार बरकरार था। उस समय इनकी मैनेजमेंट टीम ने ढाई महीनों तक बिना सैलरी के काम किया। कम्पनी के पास केवल 4 महीने तक चलाने के लिए पैसे बचे थे। इस बुरे दौर में कम्पनी को IAN फंड (स्टार्टअप को फंड देने वाली एक संस्था) और सैन फ्रांसिस्को के ड्रेपर रिचर्ड्स कपलान फाउंडेशन की तरफ से 10.40 करोड़ रुपयों की फंडिंग प्राप्त हुई। फंडिंग में मिले हुए पैसों का उपयोग रिसर्च एंड डिवेलपमेंट में किया जा रहा है।

Phool.Co का अंतिम लक्ष्य क्या है?

अपूर्व बताते है जब मैं बंगलोर में नौकरी करता था तब मैंने कानपुर आने का फैसला लिया। मेरे पिताजी ने मुझसे कहा कि लोग बंगलोर से सिंगापुर जाते है और तू कानपुर जाने की बात कर रहा है। मैंने पिताजी से कहा कि बुरा से बुरा क्या होगा कि हम असफल हो जायेंगे लेकिन अगर सफल हो गए तो उसकी कोई सीमा नहीं होगी।

अपूर्व कहते है कि हमने 2018 में अपनी वेबसाइट लॉच की थी और उस दिन हमने मात्र 2-3 प्रोडक्ट ही बेचे थे पर आज हम हर दिन 1 हजार से भी ज्यादा प्रोडक्ट अपनी वेबसाइट की मदद से बेचते है।

हम अपने अपने बिज़नेस को पूरी दुनिया में ले जाना चाहते है। अगरबत्ती और धूपबत्ती केवल भारत में ही चलती है इसीलिए हम फ्लेदर (फूलों से तैयार चमड़ा) पर पूरा फोकस कर रहे है। फ्लेदर हमारे लिए पूरे विश्व का मार्केट खोल देगा।


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